अंग्रेजी में शब्द है, पर्सनेलिटी। वह बहुत कीमती शब्द है। यूनान में जो नाटक होते थे, उन नाटकों में पात्रों को अपनेचेहरे पर एक मुखौटा लगाना पड़ता था। उस मुखौटे का नाम परसोना होता था। और उसी शब्द परसोना से पर्सनैलिटी बना है। पर्सनैलिटी का अर्थ है, ओढ़ा हुआ व्यक्तित्व, ओढ़ा हुआ मुखौटा। जो आप नहीं हैं, वैसा चेहरा।तो जो व्यक्ति अपने भीतर की प्रकृति के विपरीत होता है, अनिवार्य रूप से उसे उसप्रकृति के विपरीत एक मुखौटा निर्मित करना होता है। एक व्यक्तित्व की खोल अपने चारों तरफ बना लेता है। यह खोल अंतरात्मा से मिलन न होने देगी। निसर्ग आपके खिलाफ नहीं है, लेकिन आपका व्यक्तित्व आपके खिलाफ है। और हर आदमी व्यक्तित्व बनाए हुए है, और उसको मजबूत किए चला जाता है। मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं कि आत्मा को जानना है, लेकिन व्यक्तित्व को छोड़ने की जरा भी तैयारी नहीं होती। वे अपने व्यक्तित्व को पकड़ कर ही आत्मा को पाना चाहते हैं! यह असंभव है। इस व्यक्तित्व को ठीक से समझ लेना जरूरी है, तो ही आप आत्मा की खोज में आगे बढ़ सकेंगे, अन्यथा आप हमेशा भटकते रहेंगे। क्योंकि जिसको आपने पकड़ा है, वही तो बाधा है।